KV Vijayendra Unknown Facts: सिनेमा के माध्यम से नए-नए किस्से सुनाने और नई-नई कहानियां देने वालों की लिस्ट बनाई जाए तो उनमें केवी विजयेंद्र प्रसाद का नाम सबसे ऊपर रखा जाना तय है. सिनेमा जगत में दिग्गज लेखक के रूप में मशहूर विजयेंद्र बेहतरीन डायरेक्टर एसएस राजामौली के पिता हैं. हालांकि, विजयेंद्र की पहचान उनके बेटे से न होकर खुद ही है. आज विजयेंद्र का बर्थडे है तो हम आपको उनकी जिंदगी के चंद किस्सों से रूबरू करा रहे हैं.
सिनेमा जगत के ‘बाहुबली’ हैं विजयेंद्र
27 मई 1942 के दिन आंध्र प्रदेश के कोव्वुर (तत्कालीन मद्रास प्रेजीडेंसी) में जन्मे केवी विजयेंद्र प्रसाद सिनेमा जगत के महान लेखकों में से एक हैं. वह कई सुपरहिट फिल्मों की कहानियां भी लिख चुके हैं. उनकी लिखी कहानियों पर बनी फिल्में आज भी लोगों की पसंदीदा सूची में पहले पायदान पर नजर आती हैं. बता दें कि केवी विजयेंद्र प्रसाद ने साउथ सिनेमा के साथ-साथ बॉलीवुड की कई फिल्मों के लिए भी कहानी लिखी. ऑस्कर में अपनी धमक महसूस करा चुकी फिल्म RRR की कहानी भी केवी विजयेंद्र ने ही लिखी थी. इसके अलावा ‘बाहुबली-द बिगनिंग’ और ‘बाहुबली- द कन्क्लूजन’ जैसी सुपर-डुपर हिट फिल्मों की कहानी के लेखक भी विजयेंद्र ही हैं. यही वजह है कि उन्हें फिल्म इंडस्ट्री का बाहुबली भी कहा जाता है.
बॉलीवुड के लिए भी किया काम
केवी विजयेंद्र प्रसाद की दमदार लेखनी का जादू बॉलीवुड भी देख चुका है. उन्होंने सलमान खान की फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ की स्क्रिप्ट लिखी थी, जिसकी कहानी ने लोगों का दिल जीत लिया था. इसके अलावा कंगना रनौत की फिल्म ‘मणिकर्णिका-द क्वीन ऑफ झांसी’ और ‘थलाइवी’ की कहानी भी विजयेंद्र ने रची. वहीं, अक्षय कुमार की फिल्म ‘राउडी राठौर’ की स्क्रिप्टिंग भी उन्होंने ही की थी. केवी विजयेंद्र प्रसाद ने 2011 में तेलुगू फिल्म Rajanna डायरेक्ट की थी, जिसके लिए उन्हें बेस्ट फीचर फिल्म का नंदी अवॉर्ड मिला था.
संसद में भी दिखाया दम
सिनेमा में अपनी लेखनी का लोहा मनवाने के बाद केवी विजयेंद्र प्रसाद ने राजनीति में अपना दम दिखाया. दरअसल, वह राज्यसभा के मनोनीत सांसद हैं. उन्हें कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने के लिए मनोनीत किया गया था. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि विजयेंद्र प्रसाद ने कभी पैसों के लिए फिल्मों की कहानी नहीं लिखी. वह सिर्फ शौकिया लिखते हैं. इसकी जानकारी खुद उन्होंने दी थी. एक इंटरव्यू में विजयेंद्र ने बताया था कि उन्हें मजा आता है, इसलिए फिल्मों की कहानी लिखते हैं. बाकी पैसे और शोहरत तो उनके लिए बोनस हैं.
जिंदगी में संघर्ष के दिन भी देखे
दान-धर्म के मामले में भी विजयेंद्र का कोई जवाब नहीं है. वह अपनी कमाई का आधा हिस्सा दान कर देते हैं. दरअसल, उन्होंने अपनी जिंदगी में काफी संघर्ष किया. 2017 के दौरान ईटाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में केवी विजयेंद्र ने बताया था कि 1989 के दौरान जब वह चेन्नई में थे, तब गुजारे के लिए उन्हें खूब स्ट्रगल करना पड़ा. उन्होंने बताया था कि हम चार परिवार थे, जो करीब डेढ़ साल तक डबल बेड रूम वाले अपार्टमेंट में रहे. उस वक्त उनके बड़े भाई एमएम कीरावनी बतौर म्यूजिक असिस्टेंट काम करते थे, जिसके लिए उन्हें 200 रुपये तनख्वाह मिलती थी. उन 200 रुपयों से ही घर का खर्च चलता था.
Faraaz Khan Birth Anniversary: ‘फरेब’ करके दुनिया पर छा गए थे फराज खान, गुरबत में बीता था आखिरी वक्त