एक्टिंग से दूर रखने के लिए पिता ने करा दी थी शादी, नहीं उतरा जुनून, अमरीश पुरी भी हो गए थे इनके मुरीद

नई दिल्ली. बॉलीवुड के ऐसे एक्टर जिन्होंने पिता के ना चाहते हुए भी एक्टिंग में करियर बनाने का अपना सपना पूरा किया. एक्टिंग को लेकर जो बेपनाह दिलचस्पी रखते थे. उनका अभिनय का जुनून कभी कम नहीं हुआ. पिता ने तो एक्टिंग से दूर रखने के लिए उनकी शादी भी करा दी थी. लेकिन अपनी जिद पर अड़े इस अभिनेता ने जब करियर की शुरुआत की तो आते ही अपनी धाक जमा ली. कई ऐसे किरदार निभाए जो अमर हो गए. वो कोई और नहीं विलेन बनकर अपनी अलग पहचान बनाने वाले टैलेंटेड एक्टर सदाशिव अमरापुरकर थे.

हिंदी सिनेमा जगत में जब कभी भी विलेन की बात की जाती है तो लोगों के दिमाग में सबसे पहला नाम इंडस्ट्री के मशहूर विलेन अमरीश पुरी काआता है. हालांकि इंडस्ट्री में ऐसे भी कई कलाकार हैं जिन्होंने विलेन के किरदार निभाकर ही अपनी अलग पहचान बनाई थी. इन्हीं में से एक बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर भी थे. फिल्मों में नकारात्मक भूमिका निभाकर उन्होंने अपनी ऐसी जगह बनाई कि वह दर्शकों के दिलो-दिमाग में बस गए. सदाशिव ने अपने नेगिटिव रोल से दर्शकों का खूब दिल जीता. इतना ही नहीं, फिल्म ‘सड़क’ में उन्होंने किन्नर का किरदार निभाकर तो इतिहास रच दिया था. आज भले ही वह इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनका वो किरदार लोग आज भी भूल नहीं पाए हैं. आइए जानते हैं उनके जिंदगी और फिल्मी करियर से जुड़ी कुछ बातें..

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अमरीश पुरी भी हो गए थे मुरीद
सदाशिव ने अपने करियर की शुरुआत साल 1983 में फिल्म ‘अर्धसत्य’ से की थी. इसके बाद उन्होंने‘हुकूमत’,’ऐलान-ए-जंग’ (1989), ‘सड़क’ (1991), ‘छोटे सरकार’ (1996) जैसी फिल्मों में दमदार किरदार निभाकर साबित कर दिया कि उनकी एक्टिंग का कोई सानी नहीं. ‘सड़क’ में सदाशिव अमरापुरकर ने एक किन्नर महारानी का किरदार निभाया था, इस किरदार ने इतिहास रच दिया था. लोगों ने भी उनके इस किरदार को काफी पसंद किया था. इसके बाद उन्हें बॉलीवुड की महारानी कहा जाने लगा था. ‘सड़क’ के लिए उन्हें बेस्ट विलेन का अवॉर्ड दिया गया. खुद अमरीश पुरी भी उनके इस किरदार के मुरीद हो गए थे. अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि सदाशिव से अच्छा ये किरदार कोई नहीं निभा सकता.

कॉमेडी फिल्मों में भी आजमाया था हाथ
सदाशिव अपने करियर में धर्मेंद्र, गोविंदा, अमिताभ बच्चन, आमिर खान, संजय दत्त और सलमान खान समेत कई बड़े स्टार्स के साथ काम किया था. लेकिन खलनायक का किरदार निभाने के अलावा उन्होंने कॉमेडी फिल्मों में भी हाथ आजमाया. उनकी कॉमेडी को भी काफी पसंद किया गया था. कई फिल्मों में उन्होंने अपने कॉमिक अंदाज से भी फैंस का दिल जीता था. सदाशिव की आखिरी हिंदी फिल्म थी दिबाकर बनर्जी की ‘बॉम्बे टॉकीज’ जिसमें उन्होंने कैमियो रोल किया था. 64 साल की उम्र में अभिनेता को फेफड़ों में संक्रमण हो गया था, जिसके चलते 3 नवंबर 2014 को निधन हो गया.

बता दें कि सदाशिव अमरापुरकर लोगों ने भले ही ज्यादातर फिल्मों में नेगेटिव किरदार में देखा हो, लेकिन निजी जिंदगी में वह बहुत ही अच्छे इंसान थे. उनके पिता नहीं चाहते थे कि वह एक्टिंग में करियर बनाए लेकिन एक निर्देशक ने उनके अंदर की कला को पहचाना और उन्हें एक्टिंग की दुनिया में चांस दिया. लेकिन फिल्मों में आने से पहले सदाशिव ने करीब 50 मराठी नाटकों में काम किया था. अपने एक्टिंग करियर में उन्होंने कई ऐसे किरदार निभाए हैं जो आज भी याद किए जाते हैं.

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